केंद्र सरकार के चार वर्षों में काशी को बहुत कुछ मिला, 279 केंद्रीय परियोजनाओं को धरातल मिल गया। शहर को 15 हजार करोड़ से अधिक की सौगात मिल गई। कई परियोजनाएं पाइपलाइन में, जो पूरी होने वाली हैं। केंद्र में सरकार बनने के बाद से अब तक बनारस के लिए तकरीबन 315 बड़ी परियोजनाएं स्वीकृत हुईं इनमें अब तक लगभग 279 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं।
पूर्ण हो चुके विकास कार्य:
* २५३ करोड़ : ट्रेड फेसिलिटेशन सेंटर बड़ा लालपुर
* १५ करोड़ : मालवीय एथीक्स सेंटर बीएचयू
* १३.६० करोड़ : १५३ सामुदायिक शौचालयों की निर्माण
* ४.०९ करोड़ : ६८ स्थलों का हेरिटेज विकास
* १५.५२ करोड़ : हृदय योजना से २९ हेरिटेज सड़कें बनाईं
* ४.५० करोड़ : दुर्गाकुंड, लक्ष्मी कुंड समेत तीन तालाबों का जीर्णोद्धार
* १३१.१६ करोड़ : जलापूर्ति योजना प्रथम फेज
* २ करोड़ : डी सेंट्रलाइज्ड वेस्ट टू इनर्जी पहडिय़ा प्लांट
* ३६८२१ एलईडी स्ट्रीट लाइट, ३८१० हेरिटेज पोल
निर्माणाधीन कार्य:
* ४४४७ करोड़ : एनएचएआइ द्वारा एनएच ५६, एनएच २३३, एनएच २९ व रिंग रोड प्रथम फेज
* ८१२.३६ करोड़ : सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय द्वारा बाबतपुर से वाराणसी तक फोर लेन निर्माण कार्य
* ३० करोड़ : गेल द्वारा वाराणसी शहरी गैस वितरण योजना का काम अंतिम चरण में
* १५९.५९ करोड़ : भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण द्वारा आइडब्ल्यूटी मल्टी मॉडल टर्मिनल रामनगर
* ४.३५ करोड़ : भारतीय कंटेनर निगम लिमिटेड द्वारा पेरिशेबल कार्गो राजातालाब का निर्माण कार्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में “विकास” के नवीन आयाम प्राप्त करता “संसदीय क्षेत्र वाराणसी” : ४ वर्ष में न सिर्फ अनवरत विकास-कार्य हुए अपितु वर्षों से लंबित योजनाओं को भी मुकाम मिला।
काशी को “स्वच्छ एवं सुन्दर’ बनाने हेतु अनेक प्रयास किये जा रहे हैं, जिनमे से कुछ निम्नलिखित हैं :
१) १२ करोड़ की लागत से वाराणसी के समस्त ९० वार्डों में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन।
२) नागरिकों की समस्या का निस्तारण करते हुए, रमना में वर्षों से हो रहे कूड़ा डंपिंग का कार्य बंद।
३) वर्षों से अर्धनिर्मित करसड़ा कूड़ा प्रोसेसिंग प्लांट को एनटीपीसी द्वारा संचालित किया गया।
४) प्रतिदिन वाराणसी का लगभग ६०० टन कूड़ा करसड़ा में प्रोसेस हो रहा है और बाइप्रोडक्ट के रूप में कम्पोस्ट खाद बन रही है।
५) वाराणसी नगर निगम के द्वारा शहर में ४०००+ डस्टबिन स्थापित किये गए हैं।
६) ९० करोड़ की लागत से ३४ धरोहर सड़कों एवं ८१ हेरिटेज स्थलों तथा आसपास के क्षेत्रों का सौदर्यीकरण।
७) ८ करोड़ की लागत से प्रमुख धार्मिक मान्यता वाले दुर्गा कुंड, लक्ष्मीकुंड एवं लाटभैरव कुंड की सफाई एवं जीर्णोद्धार का कार्य संपन्न।
८) ८० करोड़ की लागत से पिपलानी कटरा में म्यूजिक हेरिटेज वाक का निर्माण संपन्न।
९) हृदय योजना के अंतर्गत २६ करोड़ की लागत से माँ गंगा किनारे अंडरग्राउंड केबलिंग के साथ धरोहर क्षेत्रों में हेरिटेज लाइटें लगी।
१०) अम्रुत योजना : सीवेज सिस्टम को से घरों को जोड़ने कार्य : १६२ करोड़ ८३ लाख २५ हजार रुपये के बजट से ५० हजार घरों का कनेक्शन कार्य जारी।
११) जलापूर्ति हेतु ७५ करोड़ की लागत से नवीन पाइप लाइने बिछाने का कार्य जारी।
१२) जापान से सहायता से कन्वेंशन सेंटर का निर्माण कार्य एवं टाउनहाल का नवीनीकरण।
१३) मोबाइल एटीएम एवं वाटर-एटीएम की सौगात।
१४) प्रधानमंत्री जी के संसदीय क्षेत्र में प्रदेश का प्रथम बीओटी आधारित शौचालय बनकर तैयार।
१५) हृदय योजना के तहत सुंदरीकरण के क्रम में मणिकर्णिका घाट को ईको फ्रेंडली बनाया जा रहा।
१६) सीवेज ट्रीटमेंट हेतु “गोइठहां”, “दीनापुर” एसटीपी तैयार एवं रमना में कार्य जारी
१७) माँ गंगा किनारे ४४ गाँव हुए ‘खुले में शौच मुक्त’। नमामि गंगे के अंतर्गत “रामनगर में एसटीपी एवं सीवर लाइन बिछाने” हेतु कार्य।
१८) स्वच्छ भारत के अंतर्गत सड़कों एवं गलियों की नियमित सफाई, कूड़ेदान वितरण।
१९) माँ गंगा घाटों पर वाटर कूलर, चेंजिंग रूम, डस्टबिन, बायो-टॉयलेट का उपस्थिति।
२०) नमामि गंगे के अंतर्गत प्रतिदिन ८४ घाटों की सफाई एवं २६ घाटों की मरम्मत जारी।
२१) नगर में डी-सेंट्रलाइज्ड वेस्ट-टू-एनर्जी के ५ टन के १० संयंत्र लगाए गए हैं।
२२) मणिकर्णिका घाट एवं हरिश्चंद्र घाट पर इको-फ्रेंडली शवदाह हेतु सीएनजी व्यवस्था।
२३) ऊर्जा गंगा परियोजना द्वारा शहर में सीएनज़ी आपूर्ति (१००० करोड़ की योजना से ३६.८ लाख लोग होंगे लाभान्वित, ५०००० घरों को पांच साल में मिलेगी पीएनजी कनेक्टिविटी, २०००० वाहन सीएनजी में होंगे परिवर्तित, २० सीएनजी स्टेशन बनाए जाएंगे)
२४) जाम एवं प्रदूषण पर नियंत्रण : स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत शहर के चौराहों पर यातायात संचालन के लिए, चौराहों पर सर्विलांस कैमरे व सिग्नल लाइट अगले हफ्ते से लगने शुरू हो जायेंगे। पहले चरण में १५ जून तक पांच चौराहों पर सिग्नल लाइट से यातायात संचालन शुरू हो जाएगा।
२५) जैविक कूड़े के निस्तारण हेतु, पहड़िया मंडी में लगा वेस्ट टू एनर्जी प्लांट प्रदेश की अन्य मंडियों के लिए बना उदाहरण (छह टन क्षमता का प्लांट, प्लांट से प्रतिदिन ४५० यूनिट बिजली, बिजली से मंडी की स्ट्रीट लाइटें जलती हैं, मंडी में गंदगी एवं बदबू से राहत)।
२६) विकेंद्रीकृत कचरा निस्तारण प्लांट : भवनिया पोखरी प्लांट, पहड़िया प्लांट, आइडीएच कालोनी में प्लांट, इस तरह का प्लांट नगर में १० स्थानों पर स्थापित करने का कार्य। वाराणसी को खुले में शौच मुक्त बनाने हेतु हेतु व्यक्तिगत, सामुदायिक, सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण।
२७) गोदौलिया कूड़ाघर में लगा ‘मिनी कूड़ा निस्तारण प्लांट।
२८) सामुदायिक शौचालयों के साथ ही १०२ यूरिनल बनाए जा रहे है। शहर के चौराहों, पार्कों, कुंडों की स्वच्छता करते हुए उन्हें नवीन स्वरुप दिया जा रहा है एवं ३६ कूड़ाघर भी चमकाए जा रहे।
२९) मल्टी लेवल पार्किग, ट्रांसपोर्ट नगर योजना, केटल कॉलोनी, कान्हा उपवन एवं पशु आश्रय स्थल जैसे अनेक विकास-कार्य शहर को जाम/खुले पशुओं से मुक्ति दिलाने हेतु किये जा रहे हैं।
वाराणसी के माँ गंगा घाट अब पहले से ज्यादा प्रकाशमय : अस्सी घाट से लेकर दशाश्वमेध घाट, प्रयाग घाट से प्रभु घाट, सभी ८४ घाटों की पारंपरिक लाइट को एलईडी लाइट से बदल दिया गया। गंगा नदी के सभी घाटों पर हाई मास्ट और मिनी मास्ट लाइटिंग और स्ट्रीट लाइट लगाई है। इस पहल के परिणामस्वरूप वाराणसी घाट अब और अधिक ऊर्जा दक्ष हो गए हैं। एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) द्वारा किया गया एक अध्ययन बताता है कि एलईडी लाइट के लगाये जाने से बिजली की लागत में ७० फीसदी से ज्यादा की कमी आएगी। हर साल १.२१ मिलियन यूनिट बिजली की बचत की जा सकेगी
२६ गंगा घाटों के जीर्णोद्धार के कार्य हेतु कार्यदायी एजेंसी इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड” || १० करोड़ से “प्रभु घाट, संकठा, भदैनी, चौकी, त्रिलोचन सहित २६ घाटों का कायाकल्प होगा ; अस्सी घाट से राजघाट तक घाटों विस्तृत मरम्मत (आंतरिक एवं ऊपरी) एवं सुंदरीकरण हेतु १३४ करोड़ की योजना पर भी कार्य आरम्भ
वाराणसी में भी
हो सकेगा १००
तरह के कैंसर
का इलाज:
मुंबई के बाद
वाराणसी को कैंसर
के बेहतर इलाज
का दूसरा बड़ा
सेंटर बनाने की,
बनारस के सांसद
और पीएम मोदी
की सोच को
सशक्त करते हुए
टाटा मेमोरियल सेंटर
यहां एक नहीं
दो कैंसर हॉस्पिटल
संचालित करेगा। पूर्वोत्तर भारत
के सबसे बड़े
महामना पं.मदन
मोहन मालवीय कैंसर
सेंटर के बाद
रेलवे मंत्रालय ने
रेलवे कैंसर इंस्टिट्यूट
को भी टीएमसी
को सौंपा है।
फर्स्ट फेज में
पुराने रेलवे कैंसर इंस्टिट्यूट
की जगह १४०
करोड़ की लागत
से तीन मंजिला
अत्याधुनिक भाभा कैंसर
हॉस्पिटल बनकर तैयार
हो गया है।
महंगी विदेशी मशीनें
लगाने के साथ
कैंसर इलाज के
विशेषज्ञ और कर्मचारियों
की तैनाती हो
चुकी है।
टाटा ट्रस्ट के प्रमुख
डा.अम्बुमणि के
मुताबिक, १८० बेड
वाले होमी भाभा
कैंसर हॉस्पिटल में
करीब सौ तरह
के कैंसर का
इलाज होगा। खासकर
कैंसर पीड़ित बच्चों
और घातक ब्लड
कैंसर के इलाज
के साथ बोन
मेरो ट्रांसप्लांट की
सुविधा पूर्वोत्तर भारत के
लोगों के लिए
वरदान साबित होगी।
पेडसिटी, एमआरआई, सीटी, मोमोग्राफी
आदि जांच सुविधाएं
उपलब्ध होंगी। ब्लड बैंक
में सारी ऑटोमेटिक
मशीनें लगाई गई
हैं। ब्लड बैंक
से पेशेंट तक
ब्लड पाइप से
सीधे पहुंचेगा।
बीएचयू में ३५० बेड का हॉस्पिटल
होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल के अलावा बीएचयू कैंपस में ५०० करोड़ की लागत से बन रहा महामना कैंसर हॉस्पिटल विश्वस्तरीय और टीमएसी से बेहतर होगा। इसे वर्ष २०१९ तक चालू करने का प्लान है। ३५० बेड वाले इस हॉस्पिटल में साइक्लोट्रॉन
मशीन भी लगेगी, जो टीएमसी में भी नहीं है। इसका संचालन भी टीएमसी ही करेगी।
निर्माणाधीन योजनाओं के पूरा होने के बाद यातायात से लेकर तमाम अन्य दिक्कतें भी खत्म हो जाएंगी। हां, अपने शहर को स्वच्छ, सुंदर और यहां के संसाधनों को संभालने लिए काशीवासियों को ही आगे आना पड़ेगा।